क्या भारत देने होंगे 10,000 करोड़ रुपये किसी विदेशी कंपनी को ?
नमस्कार दोस्तों , हमारी वेबसाइट में आपका स्वागत है,भारत पर लगातार दबाव बढ़ाता जा रहा है केन एनर्जी के केस में , आपको याद होगा की दिसंबर २०२० में ये बात फ़ैल गयी थी की भारत को चुकाने होंगे, 1.2 से लेकर 1.4 बिलियन डोलेर केन एनर्जी को, केन एक UK की कंपनी है,
तो अब सबसे बड़ा सवाल ये है की भारत को क्यों चुकाने होंगे ये रुपए, तो कारन ये है की (परमानेंट कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन) जो की एक टाइप का इंटरनेशनल कोर्ट है ये कोर्ट उन केसेस के लिए होती है जो किसी प्राइवेट कंपनी और देश के बीच चल रहा हो (मान लो कोई एक कंपनी है जिसने किसी देश में निवेश किया और उस देश ने उस कंपनी का नुकशान कर दिया, तो उस कंपनी के लोग जायेंगे परमेनन्ट कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन में , ये आपको मिलेगा नीदरलैंड में ,)
तो अब इंडिया और ये UK की कंपनी केन का क्या हुवा ?
तो UK की कंपनी केन 2015 में इस कोर्ट में गया, केन ने कहा की हम बहुत परेशांन है क्योकि भारत सरकार हमसे बोल रही है की हमें हजारो करोड़ों का टैक्स हमें चुकाना होगा और भारत सरकार मानती है की हम ये टैक्स अभी नहीं चूका सकते तो भारत सरकार ने हमारे कुछ शेयर जप्त कर लिए है। तो अब कंपनी ने कोर्ट से समाधान माँगा, कंपनी के अनुसार हमें ये टैक्स पे करना नहीं बनता परन्तु भारत सरकार बोल रही है की हमें ये टैक्स पे करना पड़ेगा तो इसके कारन यहाँ पर केस चला, ये केस 2015 से २०२० तक चला।
दिसंबर २०२० में इस कोर्ट ने एक ऑडिट दिया, इन्होने ये कहा हमारी समझ के हिसाब से, भारत सरकार को ये टैक्स लगाते नहीं बनता UK की कंपनी पर, तो इसके पहले जो भी शेयर जप्त कर रखे है, भारत सरकार को वो शेयर लौटना होगा और कुछ इंटरेस्ट भी पे करना होगा तो भारत सरकार को 1.2 से लेकर 1.4 बिलियन डोलेर का पेमेंट करना होगा, भारतीय मुद्रा के अनुसार १०,००० करोड़ रूपय।
अरे हुआ क्या था की केन जो UK की कंपनी है वो भारत में आयी इनके बड़े सपने थे की ये लोग Green एनर्जी को explory करेंगे काम करेंगे और कुछ समय के लिए काम किया और बाद में सरकार ने क्या किया की एक बिल इंट्रोडूस कर दिया ये था (रेट्रोस्पेक्टिव टैक्स अमेंडमेंट बिल ) मई 2012 में ,
सारी कहानी यही से शुरू होती है इसमें ये लिखा हुवा है की जो पिछले साल का बिल जो कंपनियों ने पे नहीं किया वो भी पे करना होगा तो कम्पनीज ने यहा पर ये कहा की देखिये जो टैक्स रूल बनाने के बाद बनता है वो तो हम पे कर सकते है, फिर आप ये कहो की हमने जो टैक्स बचा लिया और फिर बचाया टैक्स था उसके बाद आप एक रूल बना दो और वो तो ठीक नहीं है और इसको लेकर कंपनियों और भारत सरकार के भींच कई मतभेद है, जिसमे है की कंपनियों को टैक्स चुकाना चाहिए या नही।
फिर इसके बाद हमारे IT शेल ने ये किया की केन कंपनी के जो शेयर है उसको अपने पास रख लिया as a security की कल को ये भाग जाएँ की हम फिर खली हाथ रह जाएँ।
तो आप कह सकते है की हमारे पास इनके कुछ अस्सेस्ट है जिनसे हमें मिलियन डोलर का झटका तो लगेगा ही।
तो अब आप पूछोगे की अब भारत पर अब कैसा US , uk का कैसा दबाव आ रहा है ?
तो अब केन ने किया क्या की केन को तो अब पता है की भारत सरकार को अब इनको 1.2 से लिकर 1.4 Billon Doller देने है, पर केन को लगा की कही भारत सरकार ये रुपये देने से मुकर न जाये और अपने इंटरेस्ट को बचने के लिए अब केन दुनिया भर की कंट्रीज के कोर्ट में जा रहा है, वह पर उनको ये दिखा रहा है की परमानेंट कोर्ट का ये है जजमेंट और इनके हिसाब से हमको ये अमाउंट मिलना चाहिए भारत सरकार से, कल को अगर ये नहीं देते तो जो भारत सरकार के जो एसेट्स है जो इनकी जमीने है जो इनके अकाउंट है basically जो इनकी वैल्युएबल चीज है उसको आप जप्त करेंगे तो उसके जरिये आप हमें पैसे दिलवाएंगे, तो जो कई country की कोर्ट है जो कह रही है हा (नोट: यहां पर कोई जिओ पॉलिटिक्स नहीं है या फॉरेन पालिसी का कोई रोले नहीं है )ये सिम्पली बात आती है रूल की, पर कल अगर यह पर कोई बात आती है की मानो कोई केस है केन और पाकिस्तान का फिर केन भारत से सेम केस दिखता है तब भारत को उसकी मदद करनी होगी,
तो इसलिए केन ये कर रहा है और अब US, UKऔर 3 बड़े कोर्ट ने 1.4 बिलियन डॉलर का आर्बिट्रेशन अवार्ड अगेंस्ट इंडिया की अनुमति दी है और केन अभी रुका नहीं है इसके बाद ये जाइएगा सिंगापुर, जापान, UAE के कोर्ट में, और सब को यही बोलेंगे की अगर भारत मुकर गया तो देख लेना थोड़ी मदद कर देना।
वैसे इन सब से ज्यादा कुछ होगा नहीं क्योकि भारत सरकार के बहुत अच्छे रिलेशन है विश्व में तो ऐसा होने के चान्सेस बहुत काम है।
अभी के लिए भारत सरकार ये सोच रही है की केन के साथ कुछ ऐसा हो जाये की हम जो पैसा इनको हम लौटायें और वो पैसा return होकर भारत में ही निवेश भी कर दे ताकि ज्यादा बड़ा नुकशान न हो , इसके लिए अभी केन के जो सीईओ है वो अभी भारत में आये थे और जो इंडिया के फाइनेंस सेक्रेटरी है उससे मिले भी, और केन के सीईओ ने twit करके कहा की अच्छी बातें ही हुयी है।
मैं तो यही कहूंगा की अच्छी बात है की हमारा पैसा हमारे ही देश में वापस हो जाये वैसे भी हमें पैसे तो देने ही है मुझे नहीं लगता है की हम इससे नहीं बच पाएंगे तो अच्छीबात है हम यही मान लेंगे की किसी दूसरे तरीके से हमने एनर्जी के क्षेत्र में ये पैसा निवेश किया है।
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